जन्म से पहले ।
उड़ना था मुझे भी इस खुले गगन में ,
पर काट दिए पंख मेरे जन्म से पहले ।
करनी थी सेवा मुझे भी अपने देश की ,
पर छिनली वर्दी मेरी जन्म से पहले ।
करने थे सपने पूरे मुझे भी अपने ,
पर दफनाया अपनोने ही जन्म से पहले।
बनना था मुझे भी माँ-बाबा कि लाड़ली ,
पर छिनली उम्मीदे सारी जन्म से पहले ।
बेटी तो होती हैं सौभाग्य का प्रतिक ,
पर बनी अभागन में जन्म से पहले ।
अगर बेटी होना गुनाह होता ,
तो शिकायत हैं हर माँ से मुझे ,
क्या वो किसी की बेटी नहीं थी ?
सोच कर ही भर आई आँखे मेरी ,
पर आँखे कहा खुली थी जन्म से पहले ।
लत्ता बारैया
Thank you .
【Based on કન્યા ભ્રુણહત્યા】
No comments:
Post a Comment